वर्ण किसे कहते हैं वर्ण भाषा की सबसे छोटी इकाई है जिसकी टुकड़े नहीं किए जा सकते।इन्हें अक्षर भी कहा जाता है ।
उदाहरण-
क्+अ+म्+अ+ल्+अ=कमल
प्+ आ+ठ्+अ+श्+आ+ल्+आ=पाठशाला
वर्णमाला किसे कहते हैं
वरुणा वर्णों के व्यवस्थित समूह को वर्णमाला कहते हैं।
हिंदी वर्णमाला में 53 वर्णों का समूह है-
स्वर-अ,आ,इ,ई,उ,ऊ,ऋ,ए,ऐ,ओ,औ
अनुस्वार-अं
अनुनासिक-अँ
विसर्ग-अः
व्यंजन-क,ख,ग,घ,ङ, च,छ,ज,झ,ञ
ट,ठ,ड,ढ,ण,ड़,ढ़, त,थ,द,ध,न,
प,फ,ब,भ,म
अंतस्थ-य,र,ल,व
ऊष्म-श,ष,स,ह
संयुक्ताक्षर-क्ष,त्र,ज्ञ,श्र
आगत ध्वनियाँ-ज़,फ़,ऑ
हिंदी वर्णमाला को कितने भागों में बांटा गया है
हिंदी वर्णमाला को दो भागों में बांटा गया है –
- स्वर
- व्यंजन
स्वर-जिन वर्णों का उच्चारण बिना किसी की सहायता से स्वतंत्र रूप से किया जाता है,उन्हें स्वर कहते हैं,इनकी संख्या 11 है निम्नलिखित है-अ,आ,इ,ई,उ,ऊ,ऋ,ए,ऐओ,औ।
स्वर के कितने भेद होते हैं-
स्वर के तीन भेद होते हैं-
- ह्रस्व स्वर।
- दीर्घ स्वर
- प्लुत स्वर।
ह्रस्व स्वर-जिन वर्णों के उच्चारण में सबसे कम समय लगता है,उन्हें ह्रस्व स्वर कहते हैं।अ,इ,उ,ऋ वर्ण ह्रस्व स्वर हैं।
दीर्घ स्वर-जिन वर्णों के उच्चारण में ह्रस्व स्वर से दुगुना समय लगता हैं,उन्हें दीर्घ स्वर कहते हैं आ,ई,ऊ,ए,ऐ,ओ तथा औ दीर्घ स्वर हैं।
प्लुत स्वर-जिन वर्णों के उच्चारण में ह्रस्व स्वर से लगभग तीन गुना समय लगता हैं,उन्हें प्लुत स्वर कहते हैं। प्लुत स्वर प्रकट करने के लिए स्वर के आगे ‘ऽ’ का चिह्न अंकित क्र देते हैं;जैसे-ओऽम् । प्लुत का प्रयोग किसी को पुकारते समय या संगीत में होता हैं।
स्वरों की मात्रा
जब स्वरों को व्यंजन के साथ मिलाकर लिखा जाता है ,तब उन्हें हम मात्राओं के रूप में प्रयोग करते है। स्वरों की मात्राएँ इस प्रकार है –
स्वर | मात्रा | शब्द | स्वर | मात्रा | शब्द |
अ | कोई मात्रा नही | कमल ,कलम | ऋ | ृ | कृषक,कृपण |
आ | ा | काला,काजल | ए | े | केला,केदार |
इ | ि | किताब,किसान | ऐ | ै | कैलाश,कैसा |
ई | ी | कीचड़,कील | ओ | ो | कोट,कोमल |
उ | ुू | कुसुम,कुशल | औ | ौ | कौआ,कौन |
ऊ | ू | कूलर,कूकना |
व्यंजन- वे वर्ण जो शब्दों की सहायता से बोले जाएं तथा जिनका उच्चारण करते समय हवा रु ककर या रगड़ खाकर मुख से बाहर निकले, उन्हें व्यंजन करते हैं।
व्यंजन के भेद
व्यंजन के तीन भेद होते हैं-
- स्पर्श व्यंजन
- अंतःस्थ व्यंजन
- ऊष्म व्यंजन
स्पर्श व्यंजन-जिन व्यंजन वर्णों का उच्चारण करने पर मुंह से निकलने वाली हवा उच्चारण स्थान से स्पर्श करती हुई निकलती है, उन्हें स्पर्श व्यंजन कहते हैं ये निम्नलिखित है-
वर्ण का नाम | उच्चारण | शब्द | प्रकार |
क | कंठ | क,ख,ग,घ,ङ | कंठ्य |
च | तालु | च,छ,ज,झ,ञ | तालव्य |
ट | मूर्धा | ट,ठ,ड,ढ,ण | मूर्धन्य |
त | दाँत | त,थ,द,ध,न | दंत्य |
प | ओष्ठ | प,फ,ब,भ,म | ओष्ठ्य |
अंतःस्थ व्यंजन-इन व्यंजनों का उच्चारण स्वरों एवं व्यंजन के बीच का-सा होने के कारण अंत:स्थ व्यंजन कहते है। इन व्यंजनों का उच्चारण करते समय जीभ,मुह के किसी भी भाग से पूरी तरह स्पर्श नही करती। ये चार हैं-य,र,ल,व।
ऊष्म व्यंजन- इनका उच्चारण करते समय मुंह से हवा रगड़ खाने के कारण ऊष्मा (गर्मी) पैदा होती है अत: इन्हें ऊष्म व्यंजन कहते हैं। यह चार हैं-श,ष,स,ह।
सयुक्त व्यंजन- दो व्यंजनो के मेल से बने वर्णों को सयुक्त व्यंंजन कहते है। हिंदी वर्णमाला में 4 वर्ण सयुक्त व्यजंन होते है। इनकी रचना समझिए-
दो वर्णों का मेल | सयुक्त व्यंजन | बने हुए शब्द |
क्+ष | क्ष | क्षमा, क्षत्रिय ,कक्षा |
त् +र | त्र | यात्रा,त्रिभुज, मित्र |
ज्+ ञ | ज्ञ | ज्ञानी ,ज्ञान, ज्ञाता |
श्+र | श्र | मिश्री, विश्राम, श्रमिक |
द्वित्व व्यंजन- जो व्यंजन दो समान व्यंजनों के संयोग से बनते हैं, वे द्वित्व व्यंजन कहलाते है। जैसे-
क्+क = क्क चक्कर,शक्कर
ल्+ल = ल्ल बिल्ली, दिल्ली
द्+द = द्द चद्दर गद्दार
च्+च = च्च बच्चा, कच्चा
त्+त = त्त पत्ता, कुत्ता
अयोगवाह किसे कहते है
हिंदी में ग्यारह स्वरों के अतिरिक्त दो वर्ण (अं और अ:) भी जोड़े जाते हैं, इन्हे अयोगवाह कहा जाता है । ये स्वर नहीं होते परंतु इनकी भी स्वरों की तरह मात्राँए होती है। अतः इन्हे स्वरों के साथ लिखा जाता है ये स्वतंत्र रूप से प्रयोग नहीं किए जाते है।
उदाहरण- अं-संध्या, कंगन ,कंगन ,अंक, आदि।
अ:-विशेषत:, प्रात:, अतः आदि।
अयोगवाह के कितने रूप होते है
अयोगवाह के तीन रूप होते हैं-
- अनुस्वार
- अनुनासिक
- विसर्ग
अनुस्वार- जिन वर्णों के उच्चारण में वायु केवल नाक से बाहर निकलती है,वे अनुस्वार कहलाते है। अनुस्वार का प्रयोग व्यंजन वर्ग के पंचम वर्ण (ङ,ञ,ण,न,म) के स्थान पर बिंदु के रूप में किया जाता है। अनुस्वार का उच्चारण उसी पंचम वर्ण की तरह होता है, जो अनुस्वार के तुरंत बाद आया हो; जैसे-अंतर,कंगन,रंजन,डंक,संगति आदि।
अनुनासिक-जिन वर्णों के उच्चारण में वायु नाक और मुख दोनों से बाहर निकलती है,अनुनासिक वर्ण कहलाते है। इन्हें चन्द्र बिंदु (ँ) लगाकर दर्शाया जाता है;जैसे -आँख,चाँद,ऊँट आदि।
विसर्ग- अक्षर के अंत में लगने वाले दो बिंदुओं (:) को विसर्ग कहते हैं। इनका उच्चारण हल्के से शब्द की भाति होता है;जैसे-अत:,पुनः,प्रात: आदि।