मुद्रास्फीति :- मुद्रास्फीति समय के साथ वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में वृद्धि है। यह एक अर्थशास्त्र शब्द है जिसका अर्थ है कि आपको अपनी गैस की टंकी को भरने, दूध का गैलन खरीदने या बाल कटवाने के लिए अधिक खर्च करना होगा। महंगाई आपके जीवन यापन की लागत को बढ़ाती है।मुद्रास्फीति मुद्रा की प्रत्येक इकाई की क्रय शक्ति को कम करती है। अमेरिकी मुद्रास्फीति ने डॉलर के मूल्य को कम कर दिया है।जैसे-जैसे कीमतें बढ़ती हैं, आपका पैसा कम खरीदता है। यह समय के साथ आपके जीवन स्तर को कम करता है। इसलिए राष्ट्रपति रीगन ने कहा, “मुद्रास्फीति एक हिंसक के रूप में हिंसक है, एक सशस्त्र डाकू के रूप में भयावह है, और एक हिट आदमी के रूप में घातक है।” यहां पर अधिक है कि मुद्रास्फीति आपके जीवन को कैसे प्रभावित करती है।
मुद्रास्फीति क्या है
मुद्रास्फीति, जैसा कि उल्लेख किया गया है, दर एक कीमत बढ़ जाती है, और अनिवार्य रूप से क्रय के संबंध में एक निश्चित समय में डॉलर की कीमत कितनी होती है। अर्थव्यवस्था में अच्छाई के लिए एक ताकत होने के पीछे विचार यह है कि एक प्रबंधनीय पर्याप्त दर मुद्रा के अवमूल्यन के बिना आर्थिक विकास को इतना प्रेरित कर सकती है कि यह लगभग बेकार हो जाता है।
मँहगाई दर
मुद्रास्फीति की दर एक निश्चित अवधि के दौरान कीमतों में प्रतिशत वृद्धि या कमी है। यह आमतौर पर एक महीने या एक साल से अधिक है। प्रतिशत आपको बताता है कि अवधि के दौरान कीमतें कितनी जल्दी बढ़ीं। उदाहरण के लिए, यदि गैस की एक गैलन के लिए मुद्रास्फीति की दर प्रति वर्ष 2 प्रतिशत है, तो अगले साल गैस की कीमतें 2 प्रतिशत अधिक होंगी। इसका मतलब है कि एक गैलन जिसकी कीमत इस साल $ 2.00 है, अगले साल $ 2.04 खर्च होगी।
यदि महंगाई दर एक महीने में 50 प्रतिशत से अधिक है, तो यह हाइपरफ्लिनेशन है। यदि मुद्रास्फीति एक ही समय में मंदी के रूप में होती है, तो यह बहुत ही कठिन है। आवास, सोना या स्टॉक जैसी परिसंपत्तियों में बढ़ती कीमतों को संपत्ति मुद्रास्फीति कहा जाता है।
मुद्रास्फीति कैसे मापी जाती है
जब इतने सारे अलग-अलग सामान और सेवाएं मौजूद हैं तो आप मुद्रास्फीति को एक संख्या के रूप में कैसे माप सकते हैं यह आसान नहीं है। अमेरिकी सरकार के पास मौजूदा मुद्रास्फीति दर की गणना के लिए कुछ अलग तरीके हैं:-
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक:-
घरेलू उपभोक्ताओं द्वारा खरीदी गयी वस्तुओं और सेवाओं (goods and services) के औसत मूल्य को मापने वाला एक सूचकांक है। इसकी गणना उपभोक्ताओं द्वारा बाजार में किये गए भुगतान के आधार पर की जाती है।हम लोग रोजमर्रा की जिंदगी में आटा, दाल, चावल, ट्यूशन फीस आदि पर जो खर्च करते है; इस पूरे खर्च के औसत को ही उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के माध्यम से दर्शाया जाता है। इसमें 8 प्रकार के खर्चों को शामिल किया जाता है. ये हैं; शिक्षा, संचार, परिवहन, मनोरंजन, कपडे, खाद्य & पेय पदार्थ, आवास और चिकित्सा खर्च।दुनिया के अधिकांश देशों, विशेषकर विकसित देशों में मुद्रास्फीति की दर ज्ञात करने के लिए ‘उपभोक्ता मूल्य सूचकांक’ का प्रयोग किया जाता है। ये देश हैं—जापान, अमेरिका, ब्रिटेन,।
- CPI-केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय) प्रकाशित करता है।
- CPI-वस्तुओं और सेवाओं दोनों का मूल्य नापा जाता है।
- CPI-सबसे आखिरी चरण के भुगतान के आधार पर मुद्रास्फीति की गणना की जाती है।
- CPI-उपभोक्ता भुगतान को ध्यान में रखा जाता है।
- CPI-448 (ग्रामीण) & 460 (शहरी) वस्तुओं का मूल्य गिना जाता है।
- CPI- शिक्षा, संचार, परिवहन, मनोरंजन, कपड़े, खाद्य और पेय पदार्थ, आवास और चिकित्सा खर्च प्रकार की वस्तुएं शामिल की जातीं हैं।
- CPI- 2012 आधार वर्ष हैं अमेरिका सहित विश्व के 157 देशों में इस्तेमाल किया जाता है।
- CPI- एक महीने में आंकड़े कब प्रकाशित किये जाते है।
थोक मूल्य सूचकांक:-
भारत में मुद्रास्फीति की गणना के लिए ‘थोक मूल्य सूचकांक’ का प्रयोग किया जाता है। थोक मूल्य सूचकांक वस्तुओं एवं उनके मूल्यों की एक सूची होती है जिसमें वस्तुओं को तीन श्रेणियों में बांटा गया हैः (i) प्राथमिक वस्तुएं (ii) ईंधन व विद्युत संवर्ग (iii) विनिर्मित वस्तुएं
- WPI-आर्थिक सलाहकार कार्यालय (वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय) प्रकाशित करता है।
- WPI-केवल वस्तुओं का मूल्य नापा जाता है।
- WPI-पहले चरण के भुगतान के आधार पर मुद्रास्फीति की गणना की जाती है।
- WPI-उत्पादक और थोक व्यापारी भुगतान को ध्यान में रखा जाता है।
- WPI-697 (प्राथमिक वस्तुएं, ईंधन और बिजली और विनिर्मित उत्पाद) वस्तुओं का मूल्य गिना जाता है।
- WPI-औद्योगिक वस्तुएं और मध्यवर्ती वस्तुएं जैसे खनिज, मशीनरी, बुनियादी धातु आदि प्रकार की वस्तुएं शामिल की जातीं हैं।
- WPI-2011-12 आधार वर्ष हैं भारत सहित केवल कुछ देशों में इस्तेमाल किया जाता है।
- WPI-प्राथमिक वस्तुएं, ईंधन और बिजली (साप्ताहिक आधार पर), अन्य सभी वस्तुओं पर या ओवरआल (एक महीने में) आंकड़े प्रकाशित किये जाते हैं।
मुद्रास्फीति का असर
आम तौर पर मुद्रास्फीति की हालत का प्रभाव गरीब और आय पेशा लोगों पर अधिक पड़ता है. मुद्रास्फीति की हालत में आपके द्वारा किया गया निवेश यदि आपको मुद्रास्फीति की दर से अधिक रिटर्न नहीं देता है तो आपको अपने निवेश में वास्तव में घाटा ही हुआ है.अधिक मुद्रास्फीति होने से RBI बैंकों के ब्याज दर बढ़ा देता है जिससे लोन लेना महँगा हो जाता है जो कि उद्योगों के विकास में बाधक बन सकता है।
मुद्रास्फीति के प्रकार
रेंगती या नम्र स्फीति (Creeping or Moderate Inflation)
रेंगती या नम्र स्फीति तब होती है जब स्फीति की वार्षिक दर एक अंक में हो, तो इसे नम्र या रेंगती स्फीति कहते हैं। इस स्फीति की एक खास बात यह होती है कि इसका पूर्वाभास हो जाता है जिससे की आने वाली समस्याओं के प्रति नीतियों का निर्धारण किया जा सकता है।
लागत जन्य स्फीति (Cost Push Inflation)
जब किसी भी वस्तु की लागत में वृद्धि आती है और वस्तुओं की पूर्ति में अत्यधिक कमी के कारण मूल्य स्तर में वृद्धि आए, तो इस प्रकार की स्फीति को लागत जन्य स्फीति कहते हैं।
माँग प्रेरित स्फीति (Demand Pull Inflation)
जब समग्र पूर्ति की अपेक्षा समग्र मांग को प्रभावित करने वाले कारक अधिक प्रभावी हों और मांग पूर्ति से अधिक हो जाए तो इसे मांग प्रेरित स्फीति (Demand Pull Inflation) कहते हैं।
कूदता या गैलोपिंग स्फीति (Galloping Inflation)
सैम्युलसन यह मत व्यक्त करते हैं कि यदि स्फीति की वार्षिक दर दो अंकीय या तीन अंकीय हो। जैसे- 20, 100, 200%, तो इसे गैलोपिंग स्फीति कहते हैं। गैलोंपिंग स्फीति में स्फीति की वार्षिक दर अत्यन्त ही ऊँची होती है।
खुली एवं दबी स्फीति (Open and Suppressed Inflation)
खुली एवं दबी स्फीति में किसी भी प्रकार का नियंत्रण नहीं होता है तथा मूल्य स्तर स्वत: बिना रोक-टोक के ऊपर आ जाता है, तो इस प्रकार की नीतियों के द्वारा मूल्य स्तर को एक सीमा में रखने की कोशिश करें और मूल्य स्तर उतना ऊँचा नहीं दिखाई दे जितना वह वास्तव में है। इस स्थिति में स्फीति के लक्षण तो रहते हैं, पर उभरकर ऊपर नहीं आते हैं।
अधिस्फीति या हाइपर स्फीति (Hyper Inflation)
अधिस्फीति में स्फीति की दर तीन अंकों से भी बहुत अधिक हो जाती है उसे अधिस्फीति कहते हैं। हाइपर स्फीति की स्थिति में पत्र-मुद्रा बिल्कुल बेकार हो जाती है, मुद्रा से लोगों का विश्वास खो जाता है।