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भाषा बोली लिपी और व्याकरण क्या है

भाषा शब्द भाष् धातु से बना है जिसका अर्थ है बोलना मनुष्य विचारशील प्राणी है जो अपने भाव एवं विचारों का आदान-प्रदान अन्य लोगों से करता है इस आदान-प्रदान के लिए वह अनेक साधन अपनाता है जिनमें से एक माध्यम है भाषा, भाषा साधन है, जिसके माध्यम से इंसान  अपने भावों और विचारों का आदान प्रदान करता है। भाषा के दो रूप होते हैं।

  1. मौखिक भाषा
  2. लिखित भाषा

मौखिक भाषा किसे कहते है

जब हम अपने भावों और विचारों को मुख से बोलकर व्यक्त करते हैं, तो उसे हम मौखिक भाषा कहते हैं जैसे- गाना सुनना, भाषण देना, फोन पर बातचीत करनाआदि मौखिक भाषा होती है। यह भाषा का अस्थाई रूप कहलाता है

लिखित भाषा किसे कहते है

जब हम अपने विचार दूसरों के सामने लिखकर प्रकट करते हैं, उसे लिखित भाषा कहते हैं जैसे किताबों, पत्रिकाओं,अखबारों में लिखित भाषा होती है यह भाषा का स्थाई रूप कहलाता है

भाषा की इकाइयां

भाषा की पांच इकाइयां होती है।

  1. ध्वनि
  2. वर्ण
  3. शब्द
  4. पद
  5. वाक्य

ध्वनि-मुख से निकलने वाली एक स्वतंत्र आवाज निकल आती है;जैसे-ओ३म

वर्ण-ध्वनि की वह छोटी से छोटी इकाई जिसके टुकड़े नहीं किए जा सकते ,वर्ण कहलाती है ;जैसे -अ,आ,आदि

शब्द- वर्णों का वह समूह का अर्थ निकलता हो ,उसे शब्द कहते हैं; जैसे- बादल,पानी,कोयल आदि

पद-वाक्य में प्रयुक्त शब्द के व्यावहारिक रूप को पद कहते है ;जैसे-पारी ने खाना खाया

वाक्य-विचारों को अभिव्यक्त करने वाले शब्दों के सार्थक समूह को वाक्य कहते हैं;जैसे-तनु खाना खाती है

भारतीय भाषाएं कितनी है

भारत के संविधान में 22भाषाओं को मान्यता दी गई है,ये हैं-

हिंदी असमिया बोडो मणिपुरी कश्मीरी कोंकणी
मराठी बांग्ला सिंधी  कन्नड़ नेपाली पंजाबी
संस्कृत उड़ीसा उर्दूतेलुगू मैथिली संथाली
गुजराती डोगरी तमिल मलयालम

आज हिंदी भाषा का क्षेत्र बहुत व्यापक हो गया हैविश्व के 150  से भी अधिक विश्वविद्यालयों में हिंदी का अध्ययन-अध्यापन कार्य होता है

मातृभाषा-बच्चा जिस परिवार में जन्म लेता है,वह उसी परिवार की भाषा को बोलने और समझने लगता हैवह भाषा की मातृभाषा कहलाती हैशिशु  सबसे अधिक अपनी मां के संपर्क में रहता है, इसलिए उसकी भाषा का ही सबसे अधिक प्रभाव उस पर पड़ता हैइस मातृभाषा को वह जीवन भर कभी नहीं भूलता

राष्ट्रभाषा- जो भाषा किसी राष्ट्र में सबसे अधिक विकसित होती है अर्थात बोली जाती और समझी जाती है उसका पूरे राष्ट्र में प्रचार-प्रसार हो जाता है वह भाषा राष्ट्रभाषा कहलाती हैवह भाषा राष्ट्र की पहचान बन जाती है उदाहरण के लिए, हिंदी हमारे देश की राष्ट्रभाषा है

राजभाषा-सरकारी कामकाज में जिस भाषा का प्रयोग किया जाता  है, उसे देश की राजभाषा कहते है

भारत की राजभाषा हिंदी हैं इसे भारतीय संविधान के अनुच्छेद 343 के अनुसार 14 सितंबर,1949 को भारत की राजभाषा के रूप में स्वीकार किया गया

बोली –जब एक ही भाषा अलग-अलग क्षेत्र में अलग-अलग तरह से बोली जाती है,तो उसे बोली कहते हैं हिंदी भाषा हरियाणा,राजस्थान,पूर्वी तथा पश्चिमी आंध्र प्रदेश तथा बिहार में भी बोली जाती है, परंतु हर जगह उसका स्वरूप थोड़ा परिवर्तित हो जाता है जैसे-ब्रज,अवधि,मगही, बुंदेलखंडी,पहाड़ी,हिंद,मारवाड़ी,हरियाणवी,राजस्थानी,भोजपुरी आदि हिंदी बोलियां है बोलियों में लोकगीत तथा कथाओं की रचना होती है

बोली में साहित्य की रचना प्राय: नहीं होती अवधी,ब्रज,खड़ी बोली आदि बोलियों में साहित्य की रचना हुई थी,परंतु आगे चलकर केवल खड़ी बोली भाषा का रूप ले पाई, जो वर्तमान समय में हिंदी के नाम से जानी जाती है

जब किसी क्षेत्र की बोली  में साहित्यिक रचनाएं उपलब्ध हो जाती है,उस स्थिति में बोली का भाषा का रूप ले लेती है

लिपि-भाषा के लिखित रूप में जिन ध्वनि चिन्हों का प्रयोग किया जाता है,उन्हें लिपी कहते हैं

प्रत्येक भाषा की अलग-अलग लिपि होती है;जैसे-

भाषा लिपि भाषा लिपि भाषा लिपि
हिंदी देवनागरी गुजराती देवनागरी अंग्रेजीरोमन
संस्कृत देवनागरी उर्दूफ़ारसी जर्मनरोमन
मराठी देवनागरीउड़ियाओड़िया फ्रेंच रोमन
कोंकणी देवनागरी बंगालीबांग्ला फ्रांसीसीरोमन
नेपाली देवनागरी पंजाबीगुरुमुखी

व्याकरण-व्याकरण शास्त्र है जिसके द्वारा हम भाषा के शुद्ध रूप व शुद्ध प्रयोग का ज्ञान करते हैं

व्याकरण के अंग

व्याकरण के तीन अंग है:-

  1. वर्ण विचार
  2. शब्द विचार
  3. वाक्य विचार

वर्ण विचार- वर्ण भाषा की सबसे छोटी इकाई है जिसके अंतर्गत हमें वर्णमाला,वर्णों का उच्चारण,वर्णों को लिखने करने की विधि,उन्हें सयुक्त करने के नियमो आदि के  विषय में सीखते हैं

शब्द विचार- वर्णों के सार्थक मेल से शब्द बनते हैं इसके अंतर्गत शब्दों की उत्पत्ति,शब्दों की रचना,शब्द-निर्माण तथा शब्द-भेद आते हैं

वाक्य विचार- शब्दों के सार्थक मेल से वाक्य बनते हैं इसके अंतर्गत वाक्य रचना,उसके भेद,वाक्य के प्रकार,वाक्य विग्रह तथा विराम-चिन्ह

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