कुंभ मेला 2019 :- तीर्थराज प्रयाग में 49 दिन तक चलने वाले कुंभ मेला 2019 की मंगलवार को शुरुआत हो गई। मकरसंक्रांति के मौके पर संगम में 2 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाई। इस बार ग्रहों के संयोग से मकर संक्रांति पहले पड़ी और पौष पूर्णिमा बाद में पड़ रही है। मंगलवार सुबह अखाड़ों के शाही स्नान के साथ सनातन धर्म्वालाम्बियों ने गंगा–यमुना के पवित्र संगम जल में डुबकी लगाई।उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में कुंभ मेले में माघी पूर्णिमा का पांचवा स्नान पर्व आज सुबह शुरू हुआ। भारी संख्या में श्रद्धालु और पर्यटक संगम घाट पर प्रार्थना करने और पवित्र स्नान करने के लिए पहुंचे थे।तीर्थयात्रियों की भारी भीड़ के मद्देनजर आज जिले में यातायात प्रतिबंध लगाए गए हैं। भारी वाहनों के प्रवेश को जिले में प्रतिबंधित कर दिया गया है और पास धारकों सहित सभी प्रकार के वाहनों को मेले में प्रवेश करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। केवल आवश्यक सेवाओं, मीडिया और प्रशासन से संबंधित वाहनों को ही अनुमति दी जा रही है।
कुंभ मेला 2019
प्रयागराज में ‘कुम्भ’ कानों में पड़ते ही गंगा, यमुना एवं सरस्वती का पावन सुरम्य त्रिवेणी संगम मानसिक पटल पर चमक उठता है। पवित्र संगम स्थल पर विशाल जन सैलाब हिलोरे लेने लगता है और हृदय भक्ति-भाव से विहवल हो उठता है। श्री अखाड़ो के शाही स्नान से लेकर सन्त पंडालों में धार्मिक मंत्रोच्चार, ऋषियों द्वारा सत्य, ज्ञान एवं तत्वमिमांसा के उद्गार, मुग्धकारी संगीत, नादो का समवेत अनहद नाद, संगम में डुबकी से आप्लावित हृदय एवं अनेक देवस्थानो के दिव्य दर्शन प्रयागराज कुम्भ का महिमा भक्तों को दर्शन कराते हैं।
कुंभ मेले का संक्षिप्त विवरण
Article Source | Kumbh Mela 2019 |
Where Conduct | Prayagraj Uttar Pradesh |
Uttar Pradesh CM | Yogi Adityanath |
Capital | Lucknow |
How long will it last | 49 Days |
कुंभ मेला 2019 क्या है
कुंभ मेला पवित्र नदियों के तट पर लाखों लोगों की मण्डली है, जो बिना किसी औपचारिक निमंत्रण के दुनिया भर से इकट्ठा होते हैं, ज्ञान और आध्यात्मिकता की धारा में भाग लेने के लिए। कुंभ घड़े के लिए एक संस्कृत शब्द है, जिसे कभी-कभी कलश कहा जाता है। मेला का अर्थ है एक सभा या एक सभा या एक मेला। कुंभ उत्सव भारत के चार स्थानों पर घूमता है, जो ग्रहों के निश्चित आकाशीय संरेखण पर आधारित है।
Why Go to The Kumbh
- Establish Harmony Between Body,Mind & Soul
- Experince The Power Of Sacred Rivers
- Gain Spiritual Insight Of The Kumbh Festival
- Seek The Truth
- Attain Brahm Gyan The Eternal Knowledge
- Join Sensitization Drive To Uproot Burning Social Evils
कुंभ मेला 2019 क्यों है सबसे अलग
प्रयागराज का कुम्भ मेला अन्य स्थानों के कुम्भ की तुलना में बहुत से कारणों से काफी अलग है। सर्वप्रथम दीर्घावधिक कल्पवास की परंपरा केवल प्रयाग में है। दूसरे कतिपय शास्त्रों में त्रिवेणी संगम को पृथ्वी का केन्द्र माना गया है, तीसरे भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि-सृजन के लिए यज्ञ किया था, चौथे प्रयागराज को तीर्थों का तीर्थ कहा गया है, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण कारण है यहाँ किये गये धार्मिक क्रियाकलापों एवं तपस्यचर्या का प्रतिफल अन्य तीर्थ स्थलों से अधिक माना जाना। मत्स्य पुराण में महर्षि मारकण्डेय युधिष्ठिर से कहते हैं कि यह स्थान समस्त देवताओं द्वारा विशेषतः रक्षित है, यहाँ एक मास तक प्रवास करने, पूर्ण परहेज रखने, अखण्ड ब्रह्मचर्य धारण करने से और अपने देवताओं व पितरों को तर्पण करने से समस्त मनोकामनायें पूर्ण होती हैं। यहाँ स्नान करने वाला व्यक्ति अपनी 10 पीढ़ियों को पुनर्जन्म के चक्र से मुक्त कर देता है और मोझ प्राप्त कर लेता है। यहाँ केवल तीर्थयात्रियों की सेवा करने से भी व्यक्ति को लोभ-मोह से छुटकारा मिल जाता है। उक्त कारणों से अपनी पारंपरिक वेशभूषा में सुसज्जित सन्त- तपस्वी और उनके शिष्यगण एक ओर जहाँ अपनी विशिष्ठ मान्यताओं के अनुसार त्रिवेणी संगम पर विभिन्न धार्मिक क्रियाकलाप करते हैं तो दूसरी ओर उनको देखने हेतु विस्मित भक्तों का तांता लगा रहता है।
कुंभ मेला 2019 की खास बातें
- 45 वर्ग किमी में कुंभ मेला
- 600 रसोईघर
- 48 मिल्क बूथ
- 200 एटीएम
- 4 हजार हॉट स्पॉट
- 1.20 लाख बायो टॉयलेट
- 800 स्पेशल ट्रेनें चलाईं
- 300 किमी रोड बनी
- 40 हजार एलईडी
- 5 लाख गाड़ियों के लिए पार्किंग एरिया
कुंभ मेला 2019 के रोचक तथ्य
- पहली बार पुष्प वर्षा :- मेला प्रशासन की तरफ से उपलब्ध आंकड़े के मुताबिक, शाम 7 बजे तक 2 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं ने संगम में डुबकी लगाई। स्नानार्थियों के ऊपर हेलीकाप्टर से पुष्प वर्षा की गई। यह पहली बार है जब स्नान करने आये लोगों पर पुष्पवर्षा हुई।
- 13 अखाड़ों ने किया शाही स्नान :- मेला प्रशासन और अखाड़ों के बीच बनी सहमति के अनुसार सुबह 5 बजकर 15 मिनट पर शाही स्नान शुरू हो गया। शाही स्नान के लिए पहले नंबर पर श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के साथ श्री पंचायती अटल अखाड़ा पूरे शाही अंदाज में निकला। अखाड़ा मार्ग से होते संगम स्नान के लिए अखाड़े के महंत, श्री महंत, मंडलेश्वर, महामंडलेश्वर एवं आचार्य महामंडलेश्वर अपनी पूरी सज–धज के साथ संगम नोज पर पहुंचे। भस्म और भभूत रमाये नागा सन्यासियों का दर्शन करने के लिए श्रद्धालु, स्नान मार्ग के दोनों तरफ खड़े हुए थे। नागा सन्यासियों ने पूरे उत्साह के साथ अपने अखाड़े से निकलकर संगम तट पर पवित्र डुबकी लगाई।
- अब तक का सबसे महंगा कुंभ :- इस कुंभ के आयोजन के लिए यूपी सरकार ने 4 हजार 200 करोड़ रुपए आवंटित किए हैं। ये 2013 में हुए महाकुंभ से काफी ज्यादा है। उस वक्त की अखिलेश सरकार ने महाकुंभ पर 1 हजार 300 करोड़ रुपए खर्च किए थे। राज्य के वित्त मंत्री राजेश अग्रवाल ने बताया कि 2013 के मुकाबले इस बार कुंभ का मेला क्षेत्र दोगुना है। पिछली बार 1600 हेक्टेयर के मुकाबले इस बार मेला 3200 हेक्टेयर में फैला है।